तन्हाई में अक्सर ही,
दिल से, मेरी बात होती
धड़कता जो तू ,
इन आँखों से बरसात होती..
पलक झपकते कभी,
सपनो में मुलाकात होती
नींद से जागता तो,
फिर गहरी अंधेरी रात होती..!!
.
बदनसीबी का आलम था,
गम-ए-उल्फ़त भरी जिंदगी,
ख़ुशियों की सौगात होती..
दिन नहीं ढलता अचानक,
रोशन ये क़ायनात होती
तुम बिन जी लगना दूर,
जी लेता तो क्या बात होती..!!
तेरे कानो में चमकती,
तू जो मेरी होती ,
जिंदगी कभी खाली ना होती..
सुखी पड़ी डाली ना होती,
बदरी कभी काली ना होती
धड़कन की धुन छोड़,
तू और कहीं मतवाली ना होती..!