मैं जिया वहाँ जहाँ मरना था
बर्फ को अपने सीने से लगाए
हिम-युग से हमे गुजरना था..
ज्वाला थी ऐसी सीने में
हिमराज को भी पिघलना था..
पहुंच गए जहाँ मरना था
बारिस में वहाँ बम गोले थे
आसमां में उड़नखटोले थे..
हर कदम थी आखरी कदम
और हर राह में रोड़े थे..
वो कसम याद थी भारती की
दुश्मन को कही ना छोड़े थे..
पर कसम भूल माशूका की
कुछ बंकर
हमने तोड़े थे....!!...२...!!
हैसियत है क्या हथियारों की
हाथों से के सीने चीरे थे..
कुलदीप सिंह याद हों गर ..
वो सवा लाख से भिड़े थे..
ऊंट के मुंह में जीरे थे..
एक बाण से दागे हजार तीरें थे..
लोंगेवाला हो या करगिल..
हम तो तने रहे वो ही गिरे थे….!!...३ …!!
मैं गिरा वहीँ ,सब दौड़े आए..
गले लगाया, आँसू बहाए
चले मीलों बाज़ूओं में उठाए..
रोए कभी-२ हिम्मत बंधाए
आखिर में हम जी ना पाए
पता चला लाश थे लाए....!!...४...!!
..
अब माँ ..कहती है..
ममता को कोई कितना दबाए
कंधे पे उठाये, तिरंगा ओढ़ाए
यार मेरे जब घर पे लाए..
वक़्त से पहले माँ को देख
ख़ुशी थी जो फुले न समाए..
कहा की माँ तू रोना मत अब
मरे नहीं हम जी के आए..
माँ भारती के आँचल तले
हजारों
बार ही जन्नत पाए....!!..५...!!
..
ममता को कोई कितना दबाए
आँसू मेरे छलक ही आए..
लो ये आँसू पोंछ लिया पर
धड़कन को अब कैसे मनाए..
बेटा तू जिस लोक भी जाए
लोग तुम्हारे गौरव गाएं..
जाते जाते ये भी बता दे
नारद जी ..बोले..
देशप्रेम
की बात करे जो
नेतृत्व बहुत
चुनिंदा है..
भारत की क्या
बात कहूं
विदेशों तक
ये निन्दा है..
अफजल के कातिल
जिंदा हैं
कुछ लोग बहुत
शार्मिंदा हैं..
अच्छा था
मर गए थे तुम तब
अब ख़ाक वहाँ
कोई जिंदा है....!!...९...!!
इतना कहते ही दृश्य दिखाया
सच दृष्टिपटल के सामने लाया..
गददारो को देश पे हँसते देखा
उस सैनिक को जब रोना आया..
पूछा अगर वो मौत थी मेरी
तो आज मुझे ये क्या हैं आया..?
मरा था तब तो शान से मैं भी
इस पल की मौत मैं ..मर नहीं पाया....!!...१०...!!
भास्कर सुमन
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